इस भाषण को टेलिविजन पर लाइव दिखाया जा रहा था. जैसे ही टेलिविजन का पर्दा ब्लैंक हुआ, हर एक ने महसूस किया कि क्राँति की शुरुआत हो रही है. पूरे देश में लोग विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो गए. हर जगह सरकारी भवनों पर हमले किए जाने लगे और चाचेस्कू की तस्वीरें फाड़ी जाने लगीं. चाचेस्कू ने 'सिक्यूरिटेट' को विद्रोह को कुचलने का आदेश दिया. पूरी रात उन्होंने विद्रोहियों पर गोलियाँ चलाईं लेकिन वो उन्हें दबाने में असफल रहे. अगले दिन सेना भी विद्रोह में शामिल हो गई . गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पार्टी मुख्यालय को घेरना शुरू कर दिया. एलीना और चाचेस्कू को हेलिकॉप्टर से भागना पड़ा. लेकिन यहाँ भी ड्रामा जारी रहा. चाचेस्कू लिफ़्ट से भवन की छत पर गए जहाँ एक हेलिकॉप्टर उनका इंतज़ार कर रहा था. जॉन स्वीनी अपनी किताब 'द लाइफ़ एंड इविल टाइम्स ऑफ़ निकोलाई चाचेस्कू' में लिखते हैं, "जैसे ही चाचेस्कू लिफ़्ट में घुसे, उनके सेनाध्यक्ष जनरल स्टैनकुलुस्कू कार में बैठ कर रक्षा मंत्रालय की तरफ़ रवाना हो गए." "अपनी कार से ही उन्होंने सुरक्षा बलों को आदेश दिए कि वो भवन की रक्षा क...