इस भाषण को टेलिविजन पर लाइव दिखाया जा रहा था. जैसे ही टेलिविजन का
पर्दा ब्लैंक हुआ, हर एक ने महसूस किया कि क्राँति की शुरुआत हो रही है.
पूरे देश में लोग विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो गए. हर जगह सरकारी भवनों पर हमले किए जाने लगे और चाचेस्कू की तस्वीरें फाड़ी जाने लगीं.
चाचेस्कू ने 'सिक्यूरिटेट' को विद्रोह को कुचलने का आदेश दिया. पूरी रात उन्होंने विद्रोहियों पर गोलियाँ चलाईं लेकिन वो उन्हें दबाने में असफल रहे.
अगले दिन सेना भी विद्रोह में शामिल हो गई. गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पार्टी मुख्यालय को घेरना शुरू कर दिया. एलीना और चाचेस्कू को हेलिकॉप्टर से भागना पड़ा. लेकिन यहाँ भी ड्रामा जारी रहा.
चाचेस्कू लिफ़्ट से भवन की छत पर गए जहाँ एक हेलिकॉप्टर उनका इंतज़ार कर रहा था. जॉन स्वीनी अपनी किताब 'द लाइफ़ एंड इविल टाइम्स ऑफ़ निकोलाई चाचेस्कू' में लिखते हैं, "जैसे ही चाचेस्कू लिफ़्ट में घुसे, उनके सेनाध्यक्ष जनरल स्टैनकुलुस्कू कार में बैठ कर रक्षा मंत्रालय की तरफ़ रवाना हो गए."
"अपनी कार से ही उन्होंने सुरक्षा बलों को आदेश दिए कि वो भवन की रक्षा करना रोक दें. जैसे ही सैनिक वहाँ से हटे क्राँतिकारी भवन में घुसना शुरू हो गए. लेकिन उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि चाचेस्कू अभी भी भवन के अंदर मौजूद हैं, क्योंकि उनकी लिफ़्ट के दरवाज़े जाम हो चुके थे."
"किसी तरह लिफ़्ट के दरवाज़े को तोड़ कर चाचेस्कू को निकाला गया. जैसे ही क्राँतिकारी छत पर पहुंचे, छह लोगों को लिए 'इकूरिऊ' हेलिकॉप्टर ने वहाँ से उड़ान भरी. हेलिकॉप्टर में इतनी कम जगह थी कि पायलट के साथी को बैठने के लिए चाचेस्कू के घुटनों का सहारा लेना पड़ा."
पायलट ने हेलिकॉप्टर राजधानी बुखारेस्ट के बाहर एक खेत में उतारा और वो चाचेस्कू दंपत्ति को उनके एक अंगरक्षक के साथ छोड़ कर वापस उड़ गया.
उसी दिन चाचेस्कू और उनकी पत्नी को गिरफ़्तार कर लिया गया. क्रिस्मस के दिन दोनों पर एक सैनिक अदालत में मुकदमा चलाया गया और उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई.
दोनों के हाथ बाँध कर एक दीवार के सामने खड़ा किया गया. पहले दोनों को अलग अलग गोली मारी जानी थी, लेकिन एलीना ने कहा कि वो साथ साथ मरना पसंद करेंगे.
सैनिकों ने निशाना लिया और 25 सालों तक रोमानिया पर राज करने वाला निरंकुश तानाशाह निकोलाई चाचेस्कू धराशाई हो गया.
मार्क्सवाद के प्रवर्तक कार्ल मार्क्स ने एक बार बिल्कुल सही कहा था "लोग अपना इतिहास खुद बनाते हैं लेकिन इतिहास कभी उनकी पसंद से नहीं बनता."
पूरे देश में लोग विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो गए. हर जगह सरकारी भवनों पर हमले किए जाने लगे और चाचेस्कू की तस्वीरें फाड़ी जाने लगीं.
चाचेस्कू ने 'सिक्यूरिटेट' को विद्रोह को कुचलने का आदेश दिया. पूरी रात उन्होंने विद्रोहियों पर गोलियाँ चलाईं लेकिन वो उन्हें दबाने में असफल रहे.
अगले दिन सेना भी विद्रोह में शामिल हो गई. गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पार्टी मुख्यालय को घेरना शुरू कर दिया. एलीना और चाचेस्कू को हेलिकॉप्टर से भागना पड़ा. लेकिन यहाँ भी ड्रामा जारी रहा.
चाचेस्कू लिफ़्ट से भवन की छत पर गए जहाँ एक हेलिकॉप्टर उनका इंतज़ार कर रहा था. जॉन स्वीनी अपनी किताब 'द लाइफ़ एंड इविल टाइम्स ऑफ़ निकोलाई चाचेस्कू' में लिखते हैं, "जैसे ही चाचेस्कू लिफ़्ट में घुसे, उनके सेनाध्यक्ष जनरल स्टैनकुलुस्कू कार में बैठ कर रक्षा मंत्रालय की तरफ़ रवाना हो गए."
"अपनी कार से ही उन्होंने सुरक्षा बलों को आदेश दिए कि वो भवन की रक्षा करना रोक दें. जैसे ही सैनिक वहाँ से हटे क्राँतिकारी भवन में घुसना शुरू हो गए. लेकिन उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि चाचेस्कू अभी भी भवन के अंदर मौजूद हैं, क्योंकि उनकी लिफ़्ट के दरवाज़े जाम हो चुके थे."
"किसी तरह लिफ़्ट के दरवाज़े को तोड़ कर चाचेस्कू को निकाला गया. जैसे ही क्राँतिकारी छत पर पहुंचे, छह लोगों को लिए 'इकूरिऊ' हेलिकॉप्टर ने वहाँ से उड़ान भरी. हेलिकॉप्टर में इतनी कम जगह थी कि पायलट के साथी को बैठने के लिए चाचेस्कू के घुटनों का सहारा लेना पड़ा."
पायलट ने हेलिकॉप्टर राजधानी बुखारेस्ट के बाहर एक खेत में उतारा और वो चाचेस्कू दंपत्ति को उनके एक अंगरक्षक के साथ छोड़ कर वापस उड़ गया.
उसी दिन चाचेस्कू और उनकी पत्नी को गिरफ़्तार कर लिया गया. क्रिस्मस के दिन दोनों पर एक सैनिक अदालत में मुकदमा चलाया गया और उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई.
दोनों के हाथ बाँध कर एक दीवार के सामने खड़ा किया गया. पहले दोनों को अलग अलग गोली मारी जानी थी, लेकिन एलीना ने कहा कि वो साथ साथ मरना पसंद करेंगे.
सैनिकों ने निशाना लिया और 25 सालों तक रोमानिया पर राज करने वाला निरंकुश तानाशाह निकोलाई चाचेस्कू धराशाई हो गया.
मार्क्सवाद के प्रवर्तक कार्ल मार्क्स ने एक बार बिल्कुल सही कहा था "लोग अपना इतिहास खुद बनाते हैं लेकिन इतिहास कभी उनकी पसंद से नहीं बनता."
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